गुलों में रंग भरे बादे-नौबहार चले...

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ये पूछना ज़रूरी नहीं है कि जिस तरह फ़ैज़ को पाकिस्तान का हर बड़ा गायक गाता है उस तरह फ़ैज़ का समकालीन कौन है जिसे उसके देश का हर बड़ा गायक गाता है.
सुनिये मेहंदी हसन की गाई ये बहुत बार सुनी जा चुकी ग़ज़ल.






 

रात यूं दिल में तेरी खोयी हुई याद आयी
जैसे वीराने में चुपके से बहार आ जाये
जैसे सहराओं में हौले से चले बादे नसीम
जैसे बीमार को बेवजह करार आ जाये.

-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़