ये पूछना ज़रूरी नहीं है कि जिस तरह फ़ैज़ को पाकिस्तान का हर बड़ा गायक गाता है उस तरह फ़ैज़ का समकालीन कौन है जिसे उसके देश का हर बड़ा गायक गाता है. सुनिये मेहंदी हसन की गाई ये बहुत बार सुनी जा चुकी ग़ज़ल.
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मेहंदी हसन Posted on Friday, August 31, 2007 Subscribe through Atom feed.
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फैज़ अहमद फैज़
जब कभी बिकता है बाज़ार में मज़दूर का गोश्त शाहराहों पे ग़रीबों का लहू बह्ता है आग सी सीने में रह रह के उबलती है न पूछ अपने दिल पर मुझे क़ाबू ही नहीं रहता है.
hi, this is a beutiful all time great ghazal sung by mehandi hasan sahab. i appreciate your efforts to showcase faiz.
inayatullah