ऐ गमे दोस्त ! तू कहां है आज

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दिल रहीने गमे जहां है आज
हर नफ़स तिश्ना-ए-फ़ुगां है आज
सख्त वीरां है महफ़िले-हस्ती
ऐ गमे दोस्त ! तू कहां है आज.

-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

 
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