पास रहो

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फ़ैज़ ख़ुद भले ही बड़े बेमन से अपनी रचनाएं पढ़ते रहे हों लेकिन यारों ने उन्हे पढ़ने की मिसालें क़ायम की हैं.
पाकिस्तान के मशहूर अदाकार बुज़ुर्गवार ज़िया मोहिउद्दीन की आवाज़ में सुनिये ये नज़्म.






 
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